– कोरोना संकट के बीच प्रशासन की मनमर्जी का शिकार हो रहे प्रवासी, झेल रहे संकट
सायला. विश्वव्यापी महामारी कोरोना के खतरे से कोई अछूता नहीं है। इस बीच जिले में प्रवासियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है, लेकिन इन प्रवासियों को प्रशासनिक अधिकारियों की मनमर्जी के कारण विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सायला क्षेत्र के आस पास के गांवों में प्रशासनिक हठधर्मिता के चलते लोग परेशान है। वीराना में 6 मई को कोरोना के दो पॉजिटिव केस सामने आने के बाद यहां कफ्र्यू लगाया गया। दूसरी तरफ यहां के प्रवासियों के पहुंचने के कारण उन्हें क्वॉरंटीन भी किया गया। मामले में प्रवासियों की शिकायत है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। यही कारण रहा कि पहले आने वाले प्रवासियों को तो गांव में प्रवेश नहीं देते हुए रेवतड़ा गांव स्थित सरकारी स्कूल में क्वॉरंटीन किया गया, जबकि ऊंचे रसूखात वाले प्रवासी जो बाद में पहुंचे, उन्हें वीराणा गांव में कफ्र्यू के बावजूद वीराणा गांव में न केवल प्रवेश दिया गया, बल्कि उन्हें होम क्वॉरंटीन किया गया। यह दोगली नीति गांव में चर्चा का विषय है और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
यह है मामला
कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद वीराणा में कफ्र्यू है। इसी दिन रेणुपाल (21) पुत्र वचनाराम, महिपाल (16) पुत्र वचनाराम, रमेश कुमार (33) पुत्र मोडाराम को रेवतड़ा के राजकीय विद्यालय में क्वॉरंटीन किया गया। इसी तरह 7 मई को आने वाले वरदाराम (3०) पुत्र टीकमाराम, जोराराम (32) पुत्र दरगाराम, नरिंगाराम (22) पुत्र दलाराम, दिनेश कुमार (20) पुत्र वेलाराम, वरदाराम (25) पुत्र श्रीराम, अशोक कुमार (23) पुत्र प्रतापाराम और रणजीत कुमार (27) पुत्र बलवंताराम को भी रेवतड़ा के राजकीय स्कूल में ही सुरक्षा के लिहाज से क्वॉरंटीन किया गया।
यहां इस तरह की मनमर्जी समझ से परे
पहले स्तर पर प्रशासन ने जो कार्रवाई की, उसे मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना गया, लेकिन इसी गांव से जुड़ा दूसरा तथ्य प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर रहा है। इसमें 10 मई को पहुंचने वाले प्रवासियों को वीराणा गांव में कफ्र्यू होने के बाद भी गांव में न केवल प्रवेश दिया गया, बल्कि उन्हें गांव में ही होम आइसोलेट किया गया, जबकि सीधे तौर पर इन प्रवासियों को भी रेवतड़ा में बने क्वॉरंटीन केंद्र पर ठहराया जाना था।
यह तर्क समझ से परे
मामले में प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि 10 मई को पहुंचे प्रवासियों में बाबूलाल (54) की उम्र अधिक थी और उसे हृदय रोग भी है। वहीं उनकी पत्नी गीता देवी (50) को भी इसी कारण से होम आइसोलेट किया गया। जबकि उनके साथ आए दिलीप (24) पुत्र बाबूलाल, आरती (22) पुत्र बाबूलाल और गुमानसिंह (39) के मामले में ऐसा नहीं था। इन लोगों को रेवतड़ा स्कूल में क्वॉरंटीन किया जा सकता था, लेकिन उसके बाद भी इन्हें भी घर में ही आइसोलेट किया गया है।
इनका कहना
उच्चाधिकारियों के आदेशों की पालना के अनुसार ही क्षेत्र में सतर्कता के साथ कार्य किया जा रहा है। एक बुजुर्ग को हृदय से संबंधित रोग होने के कारण उन्हें होम आइसोलेट किया गया था।
– गौमती शर्मा, एसडीएम, सायला
9 Replies to “#SAYLA यहां प्रशासन की मनमर्जी भारी, बाद में आए वो घर में, पहले आए वे स्कूल में क्वॉरंटीन”