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गुणवतापूर्ण पेचवर्क के अभाव में सडक पर बने गड्ढे एवं निकली कंकरीट से हादसे का अंदेशा
भीकाराम जीनगर
सायला।
निकटवर्ती तूरा नदी में सम्पर्क सडक़ योजना में निर्मित डामर सडक़ के जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने से हादसे की आशंका बनी हुई है। जबकि ठेकेदार ने सडक़ की मरम्मत के नाम पर पेचवर्क के तहत गड्ढों में कंकरीट डालकर इतिश्री कर दी है।
जानकारी के अनुसार सायला से तूरा गांव तक जाने के लिए पूर्व में कच्चा मार्ग बना हुआ था। जिस कारण ग्रामीणों व वाहन चालकों को काफी परेशानी हो रही थी। साथ ही नदी क्षेत्र में रेत होने से वाहनों के धसने की समस्या बनी हुई थी। इस मार्ग से थलवाड़ होकर वाहनचालक भीनमाल जाते थे। जिसमें समय भी कम लगता था। उक्त मार्ग पर सडक़ निर्माण के लिए ग्रामीणों ने समय-समय पर जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवाया था। वही बारिश के मौसम में ग्रामीणो को परेशानी होने पर राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग ने नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित परियोजना में सम्पर्क सडक़ का करीब दो करोड़ रुपये की लागत से निर्माण करवाया था। जिसमे नदी क्षेत्र में रपट पर पुलिया बनाकर नदी के पानी की निकासी के लिए बड़े पाईप डाले गए थे।
जो पुलिया गुणवत्ता के अभाव में निर्माण के एक साल बाद जुलाई 2017 में आई नदी में बह गया था। जिसे ठेकेदार ने पांच साल की गारंटी अवधि में होने से पुन: मरम्मत की। लेकिन ठेकेदार की ओर से क्षतिग्रस्त सडक़ की कोई सुध नही ली जा रही है। जिससे सडक़ो पर काफी गड्ढों बन रहे है तथा वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है। साथ ही रात्रि के समय हादसे की आशंका बनी हुई है। लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नही की जा रही है।
ढलान से वाहन पलटने का अंदेशा –
तूरा नदी क्षेत्र में निर्मित रपट काफी ढलानदार है। जिसके चलते वाहनों के पलटने की आशंका बनी हुई है। कई बार ढलान पर निर्माण सामग्री सहित अन्य सामान लेकर जाते समय ट्रेक्टर आदि वाहन पलट जाते है। साथ ही रात्रि में मोटरसाइकिल फिसलने की आशंका भी बनी रहती है। वही सडक़ भी जगह जगह से बिखर गई है। लेकिन विभाग की ओर से अभी तक मरम्मत के लिए कोई कार्रवाई नही की जा रही है। इधर सडक़ के खड्डों में डाली कंकरीट वाहनों के पहियों से उछलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ढलान का नही संकेत बोर्ड –
तूरा नदी क्षेत्र में पूर्व में योजना के अंतर्गत निर्माण में पुलिया बनाया गया था। जिसके नीचे बड़े बड़े पाईप डाले गए थे ताकि नदी के प्रवाह के समय पानी दूसरी छोर तक जा सके। लेकिन 2017 में नदी में पुलिया बह गया था। जिसके बाद पुन: संबंधित फर्म ने मरम्मत कार्य किया था। जिसमे पुलिये की जगह ढलान बना दिया। ढलान बनाने के बाद ठेकेदार या विभाग की ओर से कोई भी संकेत बोर्ड नही लगाया गया है। जिससे अनजान वाहन चालकों को ढलान की जानकारी नही होने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
इनका कहना है –
गांव में जाने वाली सडक़ जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। वाहन चलाते समय टायरों से कंकरीट भी उछलती है। – मंगलसिंह राठौड़, पूर्व उपसरपंच तूरा।
तूरा सडक़ मार्ग को दिखवाने को बोलता हूं। उसके बाद आगे कार्य किया जायेगा। – एस.के. शर्मा, अधिशाषी अभियंता सानिवि जालोर।
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