शिक्षा, स्वास्थ्य सहित मूलभूत सुविधाओं में आज भी पिछडा है सायला
सायला।
उपखंड मुख्यालय के प्रोफेसर से प्राप्त सायला में प्राचीन काल की जनता की याद आज भी यथावत है। प्रदेश में भले ही हर पांच साल में सरकार बदली हो, लेकिन यहां की हकीकत आज दिन तक नहीं बदली। लंबे समय से इन समस्याओं पर भरोसा सायला की जनता को जब भी नई सरकार आती है तो उम्मीद है कि इस बार सरकार अपनी संभावनाओं का समाधान करेगी।
लेकिन पूरे पांच साल बाद भी उनका खुलासा जारी है। एक बार फिर प्रदेश में नई सरकार बनने जा रही है। ऐसे में उपखंड क्षेत्र सायला के लोगों से फिर से पूछताछ की उम्मीद जगी है। क्षेत्र में लगातार गहराता भू-जल स्तर, सरकारी अस्पताल में मलबे की कमी, सोनोग्राफी की सुविधा का अभाव, सरकारी स्कूलों में सिलिकॉन के रिक्त पद, अनार की कीमत नहीं मिलना आदि कई बातें आज ही हल हो गईं तक नहीं हुआ.
लगातार गिरता भू-जल स्तर
लगातार गिरता भू-जल स्तर क्षेत्र की बडी समस्या है। जिसके कारण लोगो को पेयजल एवं सिंचाई से जुडी समस्याओं का सामना करना पडता है। गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी सभा में जवाई नदी को पुनर्जीवित करने की बात कही थी। अब नई सरकार को शीघ्र ही इस संबंध में योजना बनानी चाहिए। इसके अलावा जवाई बांध के पानी पर जालोर का भी हक निर्धारित हो ताकि नदी में जलप्रवाह होने से कुएं एवं ट्यूबवेल रिचार्ज हो सके। साथ ही भू-जल स्तर में भी सुधार हो। चन्द्रप्रकाश राजपुरोहित, किसान बावतरा ।
चिकित्सकों के रिक्त पद बड़ी समस्या
राजकीय चिकित्सा स्वास्थ्य केंद्र सायला में कई पद रिक्त हैं। साथ ही महिला चिकित्सक भी नहीं है। इसके अलावा सोनोग्राफी मशीन की सुविधा नहीं होने से महिलाओं को निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। जिससे सरकार को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ भी नहीं मिल रहा है। – पुखराज सैन, ग्रामीण सायला।
Teªफिक जाम की समस्या से मील का पत्थर
उपखंड मुख्यालय पर पार्किंग व्यवस्था की कमी में लोग अपने वाहन सड़क पर ही बेतरतीब छोड़कर चले जाते हैं। साथ ही रेलवे कंपनी ने फर्म पर कारोबार किया है। इसके अलावा मालियों की वाडी में पार्टिकल मार्ग भी क्षतिग्रस्त है। ऐसे में शब्दावली सुविधा एवं प्लास्टिक मार्ग के निर्माण से लेकर टेफिक जैम की समस्या तक काफी हद तक बनी हुई है। इसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए। – रमेश आचार्य, व्यवसायी सायला।
शिक्षकों के रिक्त पदों को भरा जाता है।
क्षेत्र के कई सरकारी अभिलेखों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। ऐसे में सरकारी स्कूल के छात्रों का मोह भंग हो रहा है और उन्हें निजी स्कूल में भर्ती कराया गया है। अगर सरकारी स्कूलों में इलेक्ट्रॉनिक के रिक्त अवशेष को भरा जाए और शिक्षा की स्थिति ठीक हो तो उनके बच्चों को निजी स्कूलों में नहीं जाना पड़ेगा। – गोपालदान चारण, कार्ल।
अनार मंडी शुरू हो गई तो मिल गई कीमत
अनार की बंपर बिल्डिंग के बावजूद किसानों को उसकी कीमत नहीं मिल रही है। इसका मुख्य कारण सरकारी मंडी का है
शुरू नहीं हो पाना है। जिस कारण निजी मंडी वाले कंपनी बनी रहती है। सरकारी अनारदाना बाजार के अभाव में किसानों को औने-पौने दाम पर अपना अनारदाना बेचनी पड़ रही है। – हेमाराम चौधरी, किसान अलवाडा।