political issues
Politics

हमारे नेता पहले करते रहे दिसावरियों की पैरवी, खतरा बढ़ा तो ऐसे हो गए भूमिगत

– कोरोना के खतरे के बीच राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग अलाप रहे थे, लेकिन अब सभी गायब
जालोर. करीब 20 दिन पूर्व तक जालोर जिला ग्रीन जोन में था और कोरोना के खतरे से भी दूर। लेकिन इस बीच भाजपा और कांगे्रस के बीच प्रवासियों के लाने की ऐसी राजनीतिक हौड़ मची कि दोनों ही दलों ने इन्हें दिसावर से लाने का श्रेय स्वयं की पार्टी का बताना शुरू कर दिया। दोनों ही दलों ने सोशल मीडिया पर इसका खूब प्रचार भी किया, लेकिन इस बीच अब कोरोना का खतरा सीधे तौर पर जिले में बढ़ता ही जा रहा है और इसके लिए अब जालोर के स्थानीय लोग जिम्मेदार भी राजनीतिकरण को ही मान रहे हैं। कोरोना के हालातों के बीच बिगड़ रहे हालातों के बीच जो नेता कुछ दिनों पूर्व तक चर्चाओं में थे और इसे स्वयं के दल का प्रयास बता रहे थे। वे भूमिगत हो चुके हैं। मुख्य रूप से सांसद देवजी पटेल, जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग, रानीवाड़ा पूर्व विधायक रतन देवासी, आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित और रानीवाड़ा विधायक समेत कांगे्रस के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई, जिलाध्यक्ष समरजीतसिंह, कांग्रेस प्रत्याशी सवाराम तक शामिल थे। अब हालात बिगडऩे के साथ अधिकतर नेता मौन धारण कर चुके हैं और जनता के बीच जाने से भी कतरा रहे हैं। वर्तमान में कुछ हद तक वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई और रानीवाड़ा विधायक नारायणसिंह देवल ही क्षेत्र में सक्रिय है और जनता की समस्या का किसी न किसी रूप में समाधान का प्रयास कर रहे हैं। जबकि इसके अलावा अन्य नेता कोरोना के खतरे के बीच गायब हो गए हैं। कुछ नेता ऐसे है जो मौसमी है, जिसमें दानाराम चौधरी है। ये अब फिर से अपने क्षेत्र में उपस्थिति के साथ जनता में अपनी मौजूदगी के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ये अक्सर चुनावी मौसम में ही अपना चेहरा दिखाने के लिए सांचौर पहुंचते हैं। इसी तरह रानीवाड़ के पूर्व विधायक और  पूर्व  उप मुख्य सचेतक रतन देवासी भी अपने विधानसभा क्षेत्र रानीवाड़ा में कम ही सक्रिय नजर आ रहे हैं

जनता कोस रही
लगभग इन सभी नेताओं ने वर्तमान हालातों से पहले प्रवासियों को जालोर तक लाने की पैरवी की और सरकार पर इसके लिए दबाव भी बनाया। प्रवासियों के आने के बाद मुख्य रूप से गुजरात मेें अहमदाबाद और महाराष्ट्र में मुंबई से आए प्रवासियों ेमें ही कोरोना का संक्रमण अधिक देखने को मिल रहा है। जिससे अब स्थानीय लोगों के लिए खतरा भी बढ़ गया है। जिसके कारण लोग अब नेताओं को कोस रहे हैं।

8 Replies to “हमारे नेता पहले करते रहे दिसावरियों की पैरवी, खतरा बढ़ा तो ऐसे हो गए भूमिगत

  1. Pingback: auto swiper
  2. Pingback: free chat
  3. Pingback: betflix allstar
  4. Pingback: cam discount

Leave a Reply