सायला
उपखंड सायला के भाण्डवपुर तीर्थ मे आज से पर्वाधिराज पर्युषण पर्व प्रारंभ हुआ। प्रथम दिन अष्टाहिन्का व्याख्यान के अंतर्गत जीवों के प्राणो की रक्षा करना विषय पर प्रवचन देते हुए जैनाचार्य जयरत्नसूरीश्वर म.सा ने कहा कि गणधर भगवंतों ने अहिंसा का महत्व बताते हुए कहा कि मानसिक — वाचिका — कायिक तीन प्रकार की हिंसा बताई गई है।
तीनों प्रकार की हिंसा से सभी को बचना चाहिए। अभयदान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कार्यदक्ष मुनिराज आनन्दविजय म.सा ने भी धर्म शास्त्रों मे वर्णित कथनो का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरू पर्वत जितना सोना इक्कठा कर दान किया जावे तो भी एक प्राणी के कषाय प्रवृत्ति से भी बचने के उपाय से कम है ।
दोपहर मे श्री महावीर पंचकल्याणक पूजा, सायं प्रभु अंगरचना एवं भक्ति की गई। चातुर्मास आयोजक ”शा. दुदमल चन्दनमल कटारिया संघवी सॉचोर” के शांतिलाल संघवी ने सभी तपस्विओं को सुखशाता पूछी एवं कार्यक्रम मे आए अतिथियों का आभार प्रकट किया।
भगवान की आरती का लाभ—शा. पारसमल हंजारीमल वोरा— सांचोर, भगवान का मंगलदीपक का लाभ — शा. चम्पालाल बाफना सरेमल डोसी — जीवाणा, भगवान गौतमस्वामी की आरती का लाभ — शा. विजय कुमार उम्मेदमल बाफना — टांडा , दादा गुरू राजेन्द्रसूरि की आरती का लाभ — शा. बाबुलाल नेमीचंद संकलेचा धोरीमना— हाल सायला, प्रभु शांतिविजय महाराज साहब की आरती का लाभ —शा. मीठालाल फुसालाल कंकुचौपडा — मेंगलवा हाल सायला, एवं जैनाचार्य जयरत्नसेनसूरि की आरती का लाभ — शा अशोक कुमार घेवरचन्द कंकुचौपडा — जीवाणा ने लिया। अंत में धर्म सभा मे भाग लेने आए लाभार्थीओ को प्रभावना वितरित की गई।
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