देवीसिंह राठौड़ा तिलोड़ा उस रात तीन बजे का समय था । मैं भरी नींद में था । अचानक मेरी अद्र्धांगिनी ने झिंझोड़ कर मुझे जगा दिया । मैं अतिक्रमित सरकारी भूमि पर यकायक खड़ी हुई गगनचुम्बी अट्टालिकाओं की मानिन्द हड़बड़ाकर उठ खड़ा हुआ । आम भारतीय पतियों की तरह मिमियाते हुए पूछा? क्या हुआ? कोई […]